आशा कार्यकर्ता बेबी देवी टीबी मरीजों का इलाज कराने में निभा रहीं महत्वपूर्ण भूमिका


-कटोरिया प्रखंड की गोरगामा पंचायत के 15 मरीजों को अब तक पहुंचा चुकी हैं अस्पताल

-मरीजों के ठीक होने तक करती हैं निगरानी, दवा बीच में नहीं छोड़ने की देती हैं सलाह


बांका, 15 अक्टूबर। 2025 तक जिले को टीबी से मुक्त बनाने के अभियान में स्वास्थ्य विभाग लगा हुआ है। इस लक्ष्य को पूरा करने में एक-एक स्वास्थ्यकर्मी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। जागरूकता शिविर से लेकर मरीजों को चिह्नित करने के काम में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। कटोरिया प्रखंड की गोरगामा पंचायत की आशा कार्य़कर्ता बेबी देवी को ही ले लीजिए। अब तक उन्होंने क्षेत्र के 15 टीबी मरीजों को अस्पताल पहुंचाया है। बेबी देवी सिर्फ अस्पताल पहुंचाकर ही नहीं बैठ जाती हैं, बल्कि मरीजों की निगरानी भी करती हैं। मरीज बीच में दवा नहीं छोड़ दे, इसे लेकर लगातार टीबी मरीजों और उसके परिजनों के संपर्क में रहती हैं। इसी का नतीजा है कि टीबी के मरीज भी तेजी से ठीक हो रहे हैं।

बेबी देवी कहती हैं कि हमारा काम ही है क्षेत्र में रहना। क्षेत्र में रहने के दौरान लोगों के बारे में पता चल ही जाता है। जिस तरह से गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सजग रहती हूं, उसी तरह टीबी मरीजों को लेकर जानकारी रखती हूं। क्षेत्र का दौरा लगातार करते रहने के दौरान लगभग हर व्यक्ति के बारे में जानती हूं। अगर किसी में टीबी के लक्षण हैं तो इसकी भी जानकारी मुझे मिल जाती । इसके बाद मैं संबंधित व्यक्ति के घर जाती  और उनसे सारी जानकारी लेती हूं। अगर मुझे थोड़ा सा भी संदेह होता  तो मैं उसे सीधा कटोरिया रेफरल अस्पताल लेकर जाती हूं। वहां जांच के बाद जैसी रिपोर्ट आती है, उसके अनुसार इलाज होता। अगर टीबी की पुष्टि हो जाती तो फिर उस व्यक्ति की दवा शुरू होती है। मैं उसके बारे में यह ध्यान रखती हूं कि बीच में दवा नहीं छोड़ दे। अगर ऐसा करेगा तो एमडीआर टीबी हो सकता  और इलाज काफी लंबा चल सकता है।

टीबी के लक्षण दिखे तो आएं सरकारी अस्पतालः कटोरिया रेफरल अस्पताल के एसटीएस सुनील कुमार कहते हैं कि हाल के दिनों में टीबी को लेकर लोगों में भी काफी जागरूकता बढ़ी है। क्षेत्र की आशा दीदी भी अपना काम बेहतर तरीके से कर रही हैं। बेबी देवी ने तो 15 टीबी के मरीजों को अब तक इलाज के लिए अस्पताल लाया। आशा कार्य़कर्ता क्षेत्र में रहती , इस वजह से उन्हें लोगों के बारे में जानकारी रहती है। इसका लाभ टीबी मरीजों को मिल रहा है। साथ ही जिले को भी टीबी से मुक्त बनाने में मदद मिल रही है। सरकारी अस्पतालों में टीबी का बेहतर इलाज होता है। साथ में मुफ्त भी। न तो कोई दवा का पैसा लगता है और न हीं जांच और इलाज का। साथ में जब तक इलाज चलता , तब तक मरीजों को पौष्टिक आहार के लिए पांच सौ रुपये प्रतिमाह राशि भी मिलती है। इसलिए लोगों से मेरी अपील है कि अगर टीबी के लक्षण दिखे तो सरकारी अस्पताल ही आएं।

रिपोर्टर

  • Ajay Kumar
    Ajay Kumar

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