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सदन की गरिमा, भारत के लोकतंत्र का आधार स्तंभ है। यह केवल सदस्यों के शिष्टाचार और मर्यादित आचरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विचार-विमर्श की स्वतंत्रता, सभ्य बहस, रचनात्मक कार्यप्रणाली, और समग्र रूप से लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
भारत के लोकतंत्र में सदन की गरिमा का महत्व:
बिड़ला साहब छात्र राजनीति से आगे बढे हैं. वह 1979 में छात्र संघ के अध्यक्ष थे. और साल 2003 में हुए राजस्थान विधानसभा में कोटा दक्षिण से शांति धारीवाल के विरुद्ध अपनी पहली जीत दर्ज किया. राजनीति में आने से पहले बिड़ला साहब नेशनल को-ऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन लिमिटेड में काम किया करते थे. वहां वे कंपनी के उपाध्यक्ष के रूप में पदस्थापित थे.
बिड़ला साहब समाज सेवा में अधिक रूचि रखते हैं. उन्होने संसदीय सचिव (Parliamentary Secretary) के तौर पर कार्य की अवधि में गरीब और असहाय लोगो की आर्थिक सहायता की.
वर्तमान में ओम बिड़ला साहब भारतीय जनता पार्टी से कोटा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचित सदस्य एवं लोकसभा का अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) हैं.
वह छात्र राजनीति से उभरे थे। वह 1979 में छात्र संघ के अध्यक्ष थे। ओम बिरला ने अपना पहला विधानसभा चुनाव 2003 में कोटा दक्षिण से जीता था। उन्होंने कांग्रेस के शांति धारीवाल को 10,101 मतों के अंतर से हराया था। वहीं, इसके अगले विधानसभा चुनाव 2008 में बिड़ला ने कांग्रेस के अपने निकटतम उम्मीदवार राम किशन वर्मा को 24,300 मतों के अंतर से हराया। आपको बता दें कि संसद सदस्य बनने से पहले उन्होंने 2013 में पंकज मेहता (कांग्रेस) के खिलाफ अपना तीसरा विधानसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव में वह लगभग 50,000 मतों से जीते थे। वहीं, 2003-08 में अपने कार्यकाल के दौरान बिड़ला ने राजस्थान सरकार में संसदीय सचिव (एमओएस रैंक) थे। राजस्थान सरकार के संसदीय सचिव के रूप में कार्यकाल के दौरान उन्होंने गरीब, असहाय, गंभीर मरीजों को राज्य सरकार के माध्यम से 50 लाख की वित्तीय सहायता प्रदान करके उनकी सहायता की। उन्होंने बाढ़ पीड़ितों की मदद की और राहत अभियान में राहत दल का नेतृत्व किया और 15-16 अगस्त 2004 को कोटा शहर में बाढ़ पीड़ितों को आश्रय और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की। उन्होंने विभिन्न सामाजिक संगठनों के माध्यम से विकलांग, कैंसर रोगियों और थैलेसेमिया रोगियों की मदद की। विकलांगों को मुफ्त साइकिलें, व्हीलचेयर और श्रवण सहायता प्रदान की।उन्होंने गरीबों, असहाय और जरूरतमंदों को कपड़ों के मुफ्त वितरण के लिए मुफ्त कपड़े उपहार केंद्र स्थापित किए; गरीब, असहाय और जरूरतमंदों को मुफ्त भोजन प्रदान करने के लिए "प्रसादम" स्थापित किए जहां ज़रूरतमंदों को एक दिन में दो समय का भोजन उपलब्ध कराया जाता हैं; और गरीबों, असहाय और जरूरतमंदों को मुफ्त उपचार और दवाएं प्रदान करने के लिए मेडिसिन बैंक स्थापित किए।तेरहवीं राजस्थान विधान सभा में 500 से अधिक प्रश्न पूछे और सदन में कम से कम 6 बार बहस में भाग लेने के लिए उनका नाम सदन के सितारे में शामिल किया गया । उन्होंने कोटा शहर में आईआईटी स्थापित करने के लिए ऐतिहासिक आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने जिला बुंदी में चंबल नदी के पानी की आपूर्ति के लिए आंदोलन शुरू किया। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ सिटी डेवलपमेंट टैक्स और मूवमेंट में छूट के लिए रावतभाता आंदोलन के लिए श्रेय भी उनको ही जाता है। नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर एसोसिएशन लिमिटेड नई दिल्ली के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए पूरे देश में सुपर बाजार योजना के नेटवर्क के विकास की योजना शुरू की।
रिपोर्टर
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Dr. Rajesh Kumar