गर्भवतियों की टीबी जांच के मामले में समस्तीपुर टॉप पर

 

- सीवान दूसरे और मुँगेर तीसरे स्थान पर
पटना-

सूबे में गर्भवती माताओं के टीबी की जांच के मामले में समस्तीपुर जिला टॉप पर है. दूसरे नम्बर पर सीवान और तीसरे नम्बर पर मुँगेर है. एचएमआइएस पर दर्ज अप्रैल से दिसम्बर 2024 के बीच के आंकड़े बताते हैं कि इस अवधि में समस्तीपुर ने सबसे अधिक 18 हजार 847 गर्भवतियों की टीबी जांच की. कुल छह जिले ने हजार या उससे अधिक गर्भवती महिलाओं की टीबी की जांच की. इन जिलों में क्रमश: सीवान (9957), मुँगेर (6221), सुपौल (5367), मधेपुरा (5015) और पूर्णिया (1542) का नाम शामिल है.
एचएमआइएस के आंकड़े बता रहे हैं कि नवादा जिले का इस अवधि में उपलब्धि शून्य है. इसके उपर के पाँच जिले ने भी दहाई का आंकडा नहीं छुआ है. ये जिले हैं क्रमश: नवादा (0), किशनगंज (2), भागलपुर (3), जहानाबाद व खगड़िया (5-5), और शेखपुरा (8).
गर्भकाल में टीबी की जांच जरुरी:
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार गर्भावस्था में टीबी के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. टीबी ग्रसित गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के समय कई जटिलताओं का सामना करना पड़ता है. रिपोर्ट के अनुसार 6-15 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं की मृत्यु का कारण उनका टीबी से ग्रसित होना होता है.
किन महिलाओं को हो सकती है टीबी:
प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने बताया गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं में टीबी के मामले पाए जाते हैं. आमतौर पर कुपोषित एवं कमजोर महिलाओं में टीबी की संभावना अधिक होती है. अगर किसी के घर में किसी व्यक्ति को फेफड़ों की बीमारी हो और उसके लगातार संपर्क में रहने से महिला को टीबी हो सकता है. इसके अलावा गर्भावस्था में कम वजन एवं कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली महिलाओं को टीबी के संक्रमण की संभावना अधिक होती है. ऐसी महिलाओं द्वारा जन्मे नवजात कम वजन वाले हो सकते हैं और ऐसी महिलाओं के बच्चों को भी भविष्य में टीबी संक्रमण का खतरा अधिक होता है. उन्होंने बताया कि कुछ व्यक्तियों में लेटेन्ट रूप में टीबी के वायरस मौजूद रहते हैं औत कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के कारण ऐसे व्यक्तियों में टीबी होने की प्रबल संभावना रहती है.

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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